गुजरात की समकालीन महिला हाइकुकारों का प्रथम हाइकु संग्रह ‘गुर्जरी पल्लव’ का विमोचन
गुजरात की सुप्रसिद्ध लेखिका, वरिष्ठ कवयित्री सुश्री मंजु महिमा द्वारा संपादित गुजरात की समकालीन महिला हाइकुकारों का एक हाइकु संग्रह ‘गुर्जरी पल्लव’ का भव्य विमोचन समारोह दिनांक 5 फरवरी 2023 को आर्ट गेलरी भवन, म्यूनिसिपल कार्पोरेशन, सैटेलाइट अहमदाबाद में सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।
सुश्री मंजु महिमा को 2021 में आजादी के अमृत महोत्सव अवसर पर यह विचार आया कि गुजरात में हाइकु विधा को प्रचलित करने के लिए क्यों ना महिला हाइकु कारों के हाइकु से एक पुस्तक तैयार की जाए? उन्होंने उसकी रूपरेखा बनाते हुए गुजरात की महिला हाइकुकारों को इस विधा के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया। गुजरात के हिन्दी साहित्य जगत में यह एक नयी पहल हुई और 35 महिला हाइकुकारों के बहुत ही सुंदर हाइकुओं से सुसज्जित दुल्हन सी पुस्तक –‘गुर्जरी पल्लव‘ बनकर तैयार हुई, जिसका विमोचन एक भव्य समारोह में सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.घनानन्द शर्मा ‘जदली’ एवं श्री महेंद्र शर्मा संस्थापक मातृभारती द्वारा किया गया। समीक्षक के रूप में डॉ. प्रमोद कुमार तिवारी उपस्थित रहे। समारोह का प्रारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ डॉ.प्रणव भारती द्वारा शारदे- श्लोक के साथ हुआ। सुश्री सिया पटेल ने अपने बहुत ही ओज भरी आवाज़ में शिव तांडव स्त्रोत सुनाते हुए सभी को शिवमय बना दिया।
मंचस्थ अतिथियो का स्वागत तिलक और उत्तरीय से सुश्री मंजु महिमा द्वारा किया गया, गुर्जरी पल्लव की मार्गदर्शिका डॉ. पुष्प लता शर्मा और ललिता वर्मा जी द्वारा सभी अतिथियों का सम्मान तुलसी पौधे से किया गया। समीक्षक डॉ. रमेशचन्द्र शर्मा ‘चंद्र’ और डॉ. धीरज वणकर जी द्वारा की गयी समीक्षा उनकी अनुपस्थिति में डॉ.प्रणव भारती जी द्वारा पढ़ी गयी।
समीक्षक डॉ. प्रमोद तिवारीजी ने अपनी समीक्षा में सभी महिलाओं को मातृ-स्वरूप बताया। उन्होंने हाइकु विधा के शब्द, धर्म और प्रकृति से ओतप्रोत उदाहरण प्रस्तुत किये। उन्होंने कहा कि महिलाएं अपने सभी कर्तव्य निभाने के बाद साहित्य के क्षेत्र में जो अपना योगदान दे रही हैं, वह बहुत ही सराहनीय है। उनके द्वारा विविध विषयों पर लिखे गये उत्कृष्ट हाइकु भी प्रस्तुत किए। उनके अनुसार गुजरात में यह महिलाओं का प्रथम हाइकु संग्रह मील के पत्थर समान होगा।
मातृभारती संस्थापक श्री महेंद्र शर्मा जी के अनुसार यह संग्रह बहुत पहले आ जाना चाहिए था। देर से ही सही लेकिन सुश्री मंजु महिमा द्वारा उठाया गया यह कदम सराहनीय है। साथ ही श्री महेंद्र शर्मा ने इस प्रकार 35 महिला हाइकू लेखिकाओं के एक साथ संग्रह प्रकाशन को इतिहासिक घटना बताते हुए इस मुहिम को आगे बढ़ाने को कहा । डॉ.घनानन्द शर्मा जी ने इसके मुख पृष्ठ और पार्श्व पृष्ठ के लिए सुश्री श्रद्धा रावल और सुश्री नीता व्यास की सराहना करते हुए कहा इस हाइकु संग्रह की विशेष बात यह है कि इसमें विषयों की विविधता के साथ-साथ गुजरात की सांस्कृतिक परंपरा और शिल्पकला को हाइकुओ में बखूबी उकेरा है इसके लिए सभी महिला हाइकुकार अभिनंदनीय हैं।
संपादिका सुश्री मंजु महिमा जी ने हाइकु संग्रह के संदर्भ में सभी को परिचित कराया। हाइकु एक जापानी विधा है। यह पांच सात पांच की सत्रह शब्दों की छोटी सी कविता बहुत बड़े भाव रखती है। उनके अनुसार “जो आनंद सभी को साथ लेकर चलने में है वह एकाकी चलने में कहां?” हाइकु विधा में एक अनुपम संग्रह तैयार करने के लिए गुजरात की महिला हाइकुकारों को आमंत्रित कर उन्हें प्रेरित किया। उसका परिणामस्वरूप गुजरात की महिला हाइकुकारों का हिंदी साहित्य में यह प्रथम हाइकु संग्रह हाइकु विश्व के इतिहास में हमेशा अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बनाए रखेगा। गुजरात की सभ्यता संस्कृति को हाइकु संग्रह के माध्यम से गौरवान्वित करने के लिए सभी हाइकुकार बहनों की रचनाओं को सराहनीय बताते हुए उनका अभिवादन किया। उन्होंने इस बात की प्रसन्नता प्रकट की कि
गुर्जरी धरा
अनूठी जगत में
हीरे तराशे।
इस अवसर पर अस्मिता बहुभाषी संस्था अहमदाबाद की संस्थापिका सुश्री नीलम कुलश्रेष्ठ और सभी महिला सदस्यों द्वारा उनका अभिनन्दन किया गया। साथ ही कुछ हाइकुकार महिलाओं ने भी उनका मुक्ताहार से सम्मान किया।
उसके बाद सभी हाइकुकारों का मुख्य अतिथि डॉ.घनानन्द शर्मा जी, श्री महेंद्र शर्मा जी और संपादिका द्वारा सम्मान किया गया। जिसने सभी रचनाकारों में एक नयी ऊर्जा का संचार किया।
इस भव्य विमोचन समारोह में अपनी सेवाएं समर्पित करने के लिए महिला काव्य मंच की सहयोगी बहनों का सम्मान आदरणीय संपादिका सुश्री मंजु महिमा द्वारा किया गया।
इस समारोह का संचालन सुश्री नीता व्यास और सुश्री चेतना अग्रवाल द्वारा बहुत ही कुशलता से किया गया।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ०पुष्प लता शर्मा द्वारा किया गया। डॉ. प्रणव भारती द्वारा शांति पाठ करते हुए समारोह सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस समारोह में कई वरिष्ठ पुरुष और महिला साहित्यकारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।
– Padma Motwani
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